लेखनी कहानी - नजरंदाज
नजरंदाज...
ससुराल में बिना कोई शिकायत किए, विनम्रता से रहते हुए आखिरकार मुग्धा का धैर्य जवाब दे गया। हर किसी की पसंद का ख्याल रखते हुए भी किसी न किसी बात पर उसमे कोई ना कोई कमी कमी निकल ही दी जाती। पर घर को बसाए रखने की कोशिश में वो हर बात को नजर अंदाज करती जा रही थी।
सास, ससुर, देवर, ननद और उसका पति अविनाश। भरा पूरा परिवार मगर नैतिक मूल्यों से बिल्कुल खाली। लालची, घमंडी, बदतमीज, कुछ ऐसे ही गुणों से भरे थे वो। उन सबमें उसका पति अविनाश कुछ ज्यादा ही घमंडी था। अपने आगे मुग्धा को कुछ नही समझता था, जब देखो तब उसे नीचा दिखाने की कोशिश करता रहता था।
ससुराल, पति से होता है और जब पति ही अपनी पत्नी को नीचा दिखाए तो दूसरे घरवालों से उम्मीद ही क्या की जा सकती है।
मुग्धा को शादी को साल भर ही हुआ था। तीन महीने की गर्भवती थी। अब तक जो भी उसके साथ हो रहा था, उससे बहुत थक चुकी थी पर अब वो इन सब बातों को भूल वो आने वाली खुशियों की तैयारी करने लगी।
एक रात पानी लेने को जाती हुई मुग्धा के कानों में कुछ आवाजें सुनाई पड़ी। सास के कमरे में, उसकी सास, ससुर और उसका पति होने वाले बच्चे के जन्म से जुड़ी तैयारियों की बात कर रहे थे। सास तो पोता होने की खुशी में आने वाले शगुन के सपने देख रही थी।ये लाना है, ये मंगवाएंगे, ऐसे देना होगा मुग्धा के मायकेवालों ने। सास की इन सारी बातों में ससुर और पति हां में हां मिलाते जा रहे थे।
ये बातें सुनते ही मुग्धा सकते में आ गई। मुग्धा ने अब तक इनकी हर बात को नजरंदाज किया, पर अब वो ऐसा नहीं करेगी। इनका लालचीपन तो बढ़ता ही जा रहा था। मध्यमवर्गीय परिवार होने के बावजूद मुग्धा के मायकेवालों ने इन लोगों की सारी मांगें पूरी की थी।और अब आगे भी ये अपनी मांग बढ़ाए जा रहे हैं।
अगले दिन, उसने अपने भाई को इस बारे में बताया। उसने मुग्धा को सतर्क और होशियार रहने को कहा। मुग्धा अब अपने होने वाले बच्चे की भलाई के लिए पूरी तरह से चौकन्नी रहने लगी थी।
एक दिन उसकी सास और पति ने उसे हॉस्पिटल चलने को कहा। मुग्धा थोड़ी से हैरान हुई। उसे शक तो था। हॉस्पिटल पहुंचने के बाद उसका शक यकीन में बदल गया। वे होने वाले बच्चे के भ्रूण परीक्षण के लिए आए थे। मुग्धा सतर्क तो थी ही। उसने चुपचाप सारी गतिविधि अपने फोन में रिकॉर्ड कर ली और अपने भाई को भेज दी। डॉक्टर से बात कर उसने झूठी रिपोर्ट बनवा ली थी, जिसे देख उसकी सास और पति बहुत खुश थे।
कुछ समय बाद उसके घर एक नन्ही सी परी आई। उसे देख मुग्धा फूली नहीं समा रही थी। उसे अपने सीने से लगाए मन ही मन भगवान का धन्यवाद कर रही थी। मगर उसके ससुराल वालो के होश उड़े हुए थे। उनकी कल्पना से सत्य बिल्कुल परे थे।
सास ने मुग्धा के पास जाकर बोला, " डॉक्टर ने तो बेटा होने का बोला था। पर तुझे तो बेटी हुई है। डॉक्टर ने हमसे झूठ बोला था।"
मुग्धा ने अपनी सास से कहा, " नही मां जी, डॉक्टर को झूठ बोलने को मैंने कहा था। आपकी नीयत को मैं पहले ही जान गई थी। इसीलिए मैंने उन्हें मनाया कि आप लोगों को सच ना बताए। और ये सारा वाक्या मेरे पास सबूत के तौर पर मौजूद है। आगे आप खुद समझदार हैं।
पास खड़े अपने पति की देखते हुए बोली, " अविनाश तुमसे मुझे ये उम्मीद बिलकुल भी नहीं थी। मैं अपना घर तोड़ना तो नही चाहती पर मैं ये भी जानती हूं तुम मेरे और मेरी बेटी के साथ न्याय नहीं कर पाओगे। इसीलिए मैं तुम्हारे साथ नही रहूंगी, तुम्हे तलाक़ भी नही दूंगी। अगर तुम इस बात को आगे बढ़ाना चाहते हो, तो फिर मैं भी चुप नही रहूंगी।
ऐसा बोल उन सबको नजरंदाज कर मुग्धा अपनी बेटी को गोदी में ले, अपने भाई के साथ,जो उससे मिलने आया था, अपने मायके के लिए निकल गई।
प्रियंका वर्मा
20/9/22
Mithi . S
24-Sep-2022 10:38 AM
बेहतरीन रचना
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Priyanka Verma
23-Sep-2022 04:16 PM
बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का 🙏💐😊
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Gunjan Kamal
23-Sep-2022 08:41 AM
शानदार
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